Dindigul: हाल ही में तमिलनाडु में एक दलित युवक पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि उसने एक एमबीसी (सबसे निचली जाति) की महिला पर अपना अधिकार जताया था। यह हमला जातिगत भेदभाव का मामला था। इस घटना से इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बातते है।
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जाने क्या है पूरा मामला ?
बीते 2 दिन पहले डिंडीगुल के नीलाकोट्टई में शनिवार को एक दलित युवक पर हमला करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह एमबीसी (MBC) (सबसे निचली जाति) की महिला के साथ रिश्ते में था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलाके के लोगो ने बताया कि नीलाकोट्टई के कंडप्पाकोडाई में कुल्ला कुंडू के एस संथानकृष्णन (27) पिछले आठ महीनों से अपने इलाके की 24 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर रिश्ते में थे। संथानकृष्णन एससी समुदाय से थे, जबकि महिला एमबीसी (MBC) समुदाय की थी। उन्होंने महिला के माता-पिता की आपत्तियों के बावजूद संबंध जारी रखा।
इससे उसका भाई ए माधवन नाराज हो गया और उसने संथानकृष्णन पर हमला करने का फैसला किया। वही जब वह दिन -दोहपेहरी अपनी बाइक पर जा रहा था, तो माधवन और उसके दोस्तों ने संथानकृष्णन को सिलुक्कुवरपट्टी में एक कताई मिल के पास रोका, जातिवादी गालियां दीं और उसे हेलमेट से मारा। उन्होंने संथानकृष्णन को झाड़ियों में खींच लिया, उसकी पिटाई की और बाद में उसे जान से मारने की धमकी दी।
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जातिगत भेदभाव और हिंसा
संथानाकृष्णन को 15 फरवरी को नीलाकोट्टई सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 16 फरवरी को नीलाकोट्टई पुलिस स्टेशन में एससी/एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। जबकि माधवन और उसका दोस्त ई विष्णु फरार हैं, हमले में शामिल तीन अन्य – बी सुकुमारन, एस ईश्वरन और एस कार्तिक – को शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया गया।
आपको बता दें, भारत में जातिगत भेदभाव और हिंसा एक गंभीर समस्या है। उच्च जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को अक्सर सामाजिक भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। यह घटना हमें इस समस्या के एक और उदाहरण की याद दिलाती है। वहीं, दूसरी ओर, भारत में जातिगत भेदभाव और हिंसा को रोकने के लिए कई कानूनी प्रावधान हैं। जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार और चोट) अधिनियम (SC-ST Act), 1989 में इस तरह के अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, यह घटना समाज में जातिगत भेदभाव और हिंसा को और गहरा करती है। इस समस्या को खत्म करने के लिए सरकार, नागरिक समाज और सभी नागरिकों को एक साथ मिलकर काम करना जरूरी है।