टीकाराम जूली ने दलितों पर अत्याचार के मामलों में सरकार को घेरा, चिंताजनक आंकड़े जारी

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Atrocities on Dalits in Rajasthan: हाल ही में राजस्थान (Rajasthan) के अलवर (Alwar) से एक खबर सामने आई है जहाँ हालिया बैठक में कांग्रेस नेता टिकाराम जुल्ली (Congress leader Tikaram jully) ने राजस्थान में लगातार दलितों पर बढ़ अत्यचार की चिंता जाहिर करते हुए एक शिकायत पत्र राज्य सरकार को सौपा है साथ एक रिपोर्ट जारी करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है  की एक साल के अंदर राजस्थान में 8075 मामले सामने आए हैं. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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दलित वर्ग के साथ भेदभाव और अत्यचार  

राजस्थान में दलितों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं. पिछले एक साल में 8075 मामले दर्ज किए गए हैं. इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने जयपुर में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना से मुलाकात कर उन्हें राज्य के हालात से अवगत कराया और एक शिकायत भी सौंपी साथ ही, उन्होंने दलितों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उपेक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर भी बात की.

वही राजस्थान में दंगों के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है और दोषसिद्धि दर बहुत कम है. पिछले 5 वर्षों में जातिगत भेदभाव के मामलों में 22% की वृद्धि हुई है. जून 2023 तक, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अदालतों में 20,492 मामले थे, जिनमें से 16,020 मामले जनजातियों से और 4,472 मामले गैर-आदिवासियों से थे. अगर बात करे पिछले साल की तो एक साल में कुल दलितों से जुड़े 8075 सामने आए है जिन्हें दर्ज किया गया है.

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आज भी दलितों के साथ अत्यचार जारी

वही टिकाराम जुल्ली के आयोग अद्याक्ष से बात करते हए उन्हें बताया आज भी समाज में दलितों के साथ अत्यचार जारी है. आज भी उन्हें बुनयादी सुख सुविधाओ से वंचित रखा जाता है. उन्होंने कहा कि संविधान में समानता और स्वतंत्रता का अधिकार दिए जाने के बावजूद वास्तविकता यह है कि दलितों पर भेदभाव और अत्याचार झेलना पड़ता है और उन्हें सामाजिक न्याय भी नहीं मिल पता है.

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार जूली ने मकवाना को बताया कि अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि इन वर्गों को पर्याप्त कानूनी संरक्षण मिलने के बावजूद, ऐसे मामलों में सज़ा पाने वाले आरोपियों की संख्या लगातार कम हो रही है. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में छुआछूत, दबंगों द्वारा इन वर्गो को धमकाया जाता है वही मनुवादी सोच के लोग जहां चाहे वहा दलितों को अपना शिकार बना लेते है.  इससे ऐसा लगता है मनो कि हम अभी भी आदिम युग में जी रहे हैं.

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