Top 5 Dalit News in 24 Hours: दलितों को नीचा दिखाने के लिए, उन्हें दुनिया नजरों में गिराने के लिए, ये ब्राह्मणवादी लोग किस हद तक गिर सकते है, उसका एक बड़ा उदाहरण सामने आया है। प्रयागराज में पुलिस की गाड़ी के साथ तोड़फोड़ करने को लेकर जिन लड़कों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें भीम आर्मी के गुंडे बुलाया जा रहा था, असल में उनका भीम आर्मी से कोई लेना देना नहीं है। तो कौन थे वो लोग, इसका खुलासा करेंगे, उठाएंगे कुछ लोगों के चेहरे से पर्दा।। साथ ही जानेंगे कि आखिर क्यों भीम आर्मी से जुड़े एक कार्यकर्ता को पीट पीट कर मार डाला गया, क्या था इस दलित व्यक्ति का कसूर। तो वहीं बिहार में शौच के लिए गई एक दलित विधवा मां के साथ हुई बर्बरता को लेकर आखिर प्रशासन मूक दर्शक क्यों बना है। दलितों के साथ मध्य प्रदेश में इतनी ज्यादा बर्बरता क्यों की जा रही है। जहां केवल दलित होने पर न केवल बेरहमी से पीटा गया बल्कि उस पर पेशाब तक कर दिया गया। वहीं अगली खबर भी उत्तर प्रदेश से है, जहां करीब 18 साल से न्याय का इंतजार करने वाले एक दलित परिवार को आखिरकार न्याय मिल ही गया। इस न्याय ने दलितों के मन में कानून व्यवस्था को लेकर कुछ आस जरूर जगा दी है..क्या है पूरा मामला इन सभी खबरों को जानेंगे विस्तार से।।
1. प्रयागराज हिंसा में बड़ा खुलासा- करणी सेना की साजिश!
प्रयागराज में रविवार को भीम आर्मी प्रमुख को नजरबंद करने के मामले में कुछ उपद्रवियों ने जमकर तोड़-फोड़ मचाई थी(prayagraj hinsa) पुलिस उन्हें भीम आर्मी का गुंड़ा कह रही थी, लेकिन अब दो सनसनीखेज वीडियों सामने आया है जिसके बाद न केवल पुलिस की पोल खुल गई बल्कि हिंदू संगठन करणी सेना(karni sena) का भी पर्दाफाश हो गया है। जी हां, गिरफ्तार किए गए उपद्रवियों के परिवार वालों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वो लोग भीम आर्मी से जुड़े ही नहीं है, हां, ये सच है कि केवल दलित होने के कारण पुलिस ने उन्हें अपना शिकार बनाया है तो वहीं एक और वीडियों सोशल मीडिया पर आया है जिसमें ये साफ देखा जा रहा है कि करणी सेना किस तरह से गाड़ियों को तोड़ रही है जिसमें पुलिस भी उनका पूरा सपोर्ट कर रही है। इससे ये बात तो साफ हो गई है कि जानबूझ कर दलित समाज को निशाना बनाया जा रहा है ताकि उनकी आवाज को दबाया जा सकें, आपकी उस पर क्या राय है हमें जरूर बताइयें..
2. प्रयागराज हिंसा का बदला लेने के लिए दलित युवक की हत्या
प्रयागराज में हुए उपद्रव का बदला लेने के लिए दलित समाज के एक व्यक्ति की पुलिस और उपद्रवियों ने मिलकर हत्या कर दी है। (dalit man killed) मृतक का नाम सुनील कुमार गौतम बताया जा रहा है, जिसका एक वीडियों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ये आरोप लगाये है भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आजाद ने। एक तरफ आजाद इसे हत्या कह रहे है तो वहीं पुलिस मौत का कारण पेट दर्द बता रही है। जबकि घायल अवस्था में सुनील खेतों में मिला था और कराहते हुए कह रहा था कि उसे बहुत मारा गया है, और मारने वाला ब्राह्मण समाज के लोग थे। इस वीडियों के कारण पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे है साथ ही इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग लेना शुरु कर दिया है। पुलिस (Uttar pradesh police) की तरफ से बयान जारी किया गया है। उनके अनुसार सुनील की मौत पेट दर्द से हुई है न कि मारपीट से। सुनील की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। रिपोर्ट आने पर सही कारणों का पता चल जायेगा। अब कौन सही है कौन गलत, ये तय हो भी जाता है तो क्या हो जायेगा…आखिर एक परिवार का चिराग तो बुझ गया और उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता है।
3. बिहार के गया में दलित विधवा महिला के साथ दरिंदगी
ऐसा लग रहा है जैसे बिहार दलितों के साथ दरिंदगी करने के मामले में गुनाहों का गढ़ बनता जा रहा है। वैसे तो दलितों के हाथों का पानी भी इन ब्राह्मणवादियों को गंवारा नहीं… इनकी परछाई से भी दूर रहते है…लेकिन वहशी दरिंदे, न तो जात देखते है और न ही स्थिति… बिहार के गया जिले में एक दलित विधवा के साथ हुई हैवानियत ने सबको झकझोर कर रख दिया। मामला बांके बाजार के विनोबनगर का है। जहां एक दलित विधवा औरत रात के अंधेरे में अपनी 6 साल की बेटी को शौच कराने ले गई थी लेकिन तभी अंधेरे का फायदा उठा कर हैवानों ने महिला को दबोचा लिया और गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया। महिला इस हैवानियत को सह नहीं सकी और वो बेहोश हो गई। जिसके बाद बलात्कारियों ने महिला को खेतों में मरने के लिए छोड़ दिया और फरार हो गए। बेहोशी की हालत में महिला को मगध मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। इस मामले में गांव में ही रहने वाले 3 लोगों के नाम सामने आये है। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कुछ नहीं कहा है, वो केवल जांच करने की बात कर रहे है। हालांकि उस बच्ची के साथ क्या हुआ उसकी भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। लेकिन इस घटना से इलाके में सनसनी फैल गई है।
4. मेहनताना मांगने पर दलित को पेशाब पिलाया
पहले उत्तर प्रदेश, फिर बिहार और फिर मध्य प्रदेश…तीनों भाजपा शासित राज्य है, और सबसे ज्यादा दलितों के साथ होने वाली बर्बरता और भेदभाव के मामले भी इन्ही राज्यों से देखने को मिल रहे है। ऐसा ही दिल को झकझोर कर रख देना वाला मामला मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से आया है। जहां जातिगत भेदभाव की सारी हदें पार करते हुए एक ढाबा मालिक ने अपने एक कर्मचारी को बेरहमी से पीटा.. उसे जबरन पेशाब पिलाया, लेकिन दलित युवक की गलती क्या था…गलती केवल इतनी ही थी कि उसने अपना मेहनताना मांगा था, लेकिन बदले में मिली गालियां… दलित युवक राजकुमार भाटी को ढाबा मालिक ने न केवल बुरी तरह से पीटा बल्कि उसपर पेशाब किया और थूका भी। उससे भी जब दबंगो का दिल नहीं भरा तो जबरदस्ती उसे पेशाब पिलाया गया। युवक के शरीर पर गंभीर चोट के निशान है, जो एमपी में दलितों की स्थिति बता रहे है। इस मामले में गोंडवाना रिपब्लिक पार्टी के जिला प्रेसिडेंट देवरावेण भलावी ने छिंदवाड़ा के दलित बीजेपी विधायक पर भी आरोप लगाया है कि वो दलितों के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे है। जबकि यहां जानबूझ कर दलितों को टारगेट किया जा रहा है। लोगों ने रास्ते को जाम कर न्याय की मांग की तब जाकर पुलिस प्रशासन जागी लेकिन अब तक केवल ढाबा मालिक राजा चौकसे ही गिरफ्तार हुआ है। बाकी 2 आरोपी फरार है। हमारा सवाल ये है कि आखिर एमपी में दलितों के साथ होने वाले अपराध में प्रशासन मूक दर्शक क्यों बन जाती है। जब तक कोई बड़ा नामी व्यक्ति उस में नहीं पड़ता है।
5. 18 साल बाद मिला एक दलित परिवार को न्याय
आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी..देर आये दुरुस्त आये.. करीब 18 साल से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक दलित परिवार न्याय की उम्मीद लगाये बैठा था, जो कि आखिरकार उन्हें 18 सालों बाद मिल ही गया। जी हां, यूपी के बाराबंकी में गांव में प्रधान पद को लेकर 2007 में हुए विवाद में एक दलित परिवार के साथ मारपीट ती गई थी। जिसमें एक व्यक्ति चेतराम की इलाज के दौरान मौत को हो गई थी। ये मामला तब से लंबित था लेकिन विशेष अपर सत्र न्यायाधीश वीना नारायन ने एससी-एसटी एक्ट के तहत 12 लोगो को उम्र कैद की सजा सुनाई है, साथ ही 1 लाख 18 हजार रूपय का जुर्माना लगाया गया है। इस मामले में 5 अन्य आरोपियों को 3 साल की सजा और 10 हजार रूपय जुर्माना लगा है तो वहीं बीते 18 सालों में करीब 5 लोगों की मौत भी हो चुकी है। भले ही 18 सालों के बाद लेकिन न्याय तो मिला।