दलित मज़दूरों की मौत! सीवेज टैंक साफ़ करते समय ज़हरीली गैसों में साँस लेने में तकलीफ़ हुई, नहीं दिए सुरक्षा उपकरण

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Death of Dalit labourers: हाल ही में राजधानी दिल्ली (Delhi) पश्चिमी दिल्ली के पश्चिम विहार स्थित श्री बालाजी एक्शन हॉस्पिटल (Shri Balaji Action Hospital in Paschim Vihar, West Delhi)  से एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई हैं. जहाँ दो दलित मजदूरों ने सीवेज टैंक साफ करते समय जहरीली गैसों में सांस लेने के कारण दम तोड़ दिया. जिसके बाद पुलिस ने इस घटना को देखते हुए मामला दर्ज कर लिया है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर अब तक इस तरह की अनदेखी की जाएगी. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारें में विस्तार से बताते हैं.

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जहरीली गैस के कारण दलित मजदूरों की मौत

भारत में सबसे ज्यादा अत्याचार दलितों पर होता है. भारत में सबसे ज्यादा शोषित दलित होते हैं. मनुवादियों के सबसे ज्यादा शिकार दलित होते हैं. दलितों की बारात पर सबसे ज्यादा हमले होते हैं. दलितों को जानवर समझा जाता है. उनसे काम करा कर मजदूरी नहीं दी जाती और मजदूरी मांगने पर जान से मार दिया जाता है. लेकिन इतनी प्रताड़ना के बाद भी जब बात दलितों की सुरक्षा की आती है तो सरकार और सिस्टम को सांप सूंघ जाता है. खैर छोड़ो आपको दिल्ली से  दिल्ली से सामने आया एक मामले के बारे में बताते है, जहां सीवेज टैंक साफ करते हुए फिर से 2 दलित मजदूरों की मौत ने प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

चौंकाने वाली बात यह है कि यह घटना एक निजी अस्पताल के परिसर में हुई. दरअसल, 8 जुलाई को यह घटना पश्चिमी दिल्ली के पश्चिम विहार स्थित श्री बालाजी एक्शन हॉस्पिटल (Shri Balaji Action Hospital) में हुई, जहां दो मजदूरों ने सीवेज टैंक (Sewage tank) साफ करते समय जहरीली गैसों में सांस लेने के कारण दम तोड़ दिया. दलित समाज से आने वाले इन मृतकों की पहचान उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के 26 वर्षीय बृजेश और 38 वर्षीय विक्रम के रूप में हुई है.

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मजदूरों को केवल डिस्पोजेबल मास्क

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी में पुलिस के मुताबिक दोनों ही एक निजी कंपनी में कर्मचारी थें, जिसे श्री बालाजी एक्शन हॉस्पिटल (Shri Balaji Action Hospital) के एसटीपी की सलाना मेंटेनेंस कॉन्ट्रैंक्ट (Maintenance contract) मिला हुआ था. और ठेकेदार ने उनकी जान को जोखिम में डालकर बिना किसी सेफ्टी उपकरण के सीवेज साफ करने भेज दिया.

पुलिस के मुताबिक इन दलित मजदूरों को केवल डिस्पोजेबल मास्क दिए गए थे, जबकि कोई अन्य सुरक्षा या जीवनरक्षक उपकरण नहीं दिया गया था. इस मामले में पश्चिम विहार पूर्व पुलिस स्टेशन में बीएनएस की धारा 106 (BNS section 106) और मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) के रोजगार पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 की धारा 9 के तहत केस दर्ज किया गया है.

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