Etah : हाल ही में उत्तर प्रदेश के एटा से एक चौकाने वाली खबर सामने आई है जहाँ एक यादव महिला के बारे में रिपोर्ट मिली है, जिसने कथित तौर पर एक फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया और इसका इस्तेमाल एक दलित व्यक्ति की जमीन को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए किया। यह जालसाजी और अवैध भूमि हस्तांतरण से जुड़ा एक गंभीर अपराध है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।
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जाति और पता छिपाया गया
हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के एटा (Etah) से धोखाधड़ी की एक खबर आई है जहां एक महिला ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर दलित व्यक्ति की जमीन अपने नाम करवा ली। जी हाँ, तहसील क्षेत्र के गांव प्रतिभावन चरण सिंह पुत्र केदारी सिंह ने प्रार्थना पत्र देकर बताया कि देवी पत्नी राम नरेश निवासी खेड़ा गौराऊ परगना तहसील जलेसर जिला एटा यादव जाति की महिला है। वर्ष 2012 में सभा सिरगवां का विक्रय पत्र सीमा यादव ने चंद्रकला पत्नी राजपाल जाटव निवासी गांव शहरी मदन गढ़ी तहसील कोल के साथ किया था।
दरअसल, शिकायतकर्ता के अनुसार इकरारनामा करते समय जिला प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई। विक्रेता दलित महिला की जाति छिपाई गई और क्रेता सीमा पानी रामनरेश निवासी खेड़ा गवाराऊ की जगह उसके मायके का पता सीमा पुत्री राजन लाल निवासी नवलपुर सादाबाद हाथरस दर्ज कर दिया गया। ताकि जाति और पता छिपा रहे।
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तहसीलदार न्यायालय में सिर्फ तारीखें बदली
इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जा रहा है कि इस आशय की शिकायत दो साल पहले तहसीलदार (Tahsildar) और एसडीएम (SDM) से की गई थी। जिसके बाद से अभी तक सिर्फ नायब तहसीलदार कोर्ट (Tahsildar Court) में सिर्फ तारीखें ही मिल रही हैं। वही पीड़ित का कहना है कि दो साल बीत जाने के बावजूद न तो फर्जी जाति प्रमाण पत्र निरस्त हुआ और न ही अवैध करार निरस्त हुआ। साथ ही इस कृत्य को करने वाले लेखपाल के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके अलावा आपको बता दें कि ऐसे मामलों की जांच अक्सर पुलिस और राजस्व विभाग सहित स्थानीय अधिकारियों द्वारा की जाती है, ताकि आरोपों की पुष्टि हो सके, इसमें शामिल व्यक्तियों की पहचान हो सके और उचित कानूनी कार्रवाई की जा सके। इसमें आरोपी को गिरफ्तार करना, आपराधिक मामला दर्ज करना और जमीन को उसके असली मालिक को वापस दिलाने के प्रयास शामिल हो सकते हैं।