BNS Section 114 in Hindi: बीएनएस की धारा 114 भारतीय न्याय संहिता बीएनएस धारा 114 “चोट” के कृत्य को किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक दर्द, बीमारी या दुर्बलता पहुँचाने के रूप में परिभाषित करती है। यह धारा उन कार्यों को रेखांकित करती है जो कानूनी रूप से चोट पहुँचाने के लिए जिम्मेदार हैं और ऐसे नुकसान पहुँचाने के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए दंड निर्धारित करती है। तो चलिए जानते हैं ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 114 क्या कहती है? BNS Section 114 in Hindi
भारतीय न्यायिक संहिता बीएनएस (BNS) की धारा 114 “चोट” को परिभाषित करती है। इसका अर्थ है किसी व्यक्ति को शारीरिक दर्द, बीमारी या दुर्बलता पहुँचाना। यह धारा चोट की एक सरल परिभाषा प्रदान करती है, जिसमें किसी व्यक्ति को शारीरिक दर्द, बीमारी या दुर्बलता पहुँचाना शामिल है।
धारा 114 के अंतर्गत महत्वपूर्ण बिंदु
- धारा 114 परिभाषित करती है कि किसी को “चोट” पहुँचाने का क्या मतलब है।
- अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी भी तरह का शारीरिक दर्द, बीमारी या दुर्बलता पहुँचाता है, तो उसे चोट पहुँचाने वाला कहा जाता है।
- उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति किसी को धक्का देता है और वह गिर जाता है और उसे चोट लग जाती है, तो इसे बीएनएस धारा 114 के तहत “चोट” माना जाएगा।
- धारा 114 में “चोट” की परिभाषा में शारीरिक दर्द, बीमारी या दुर्बलता शामिल है।
- यह स्पष्ट करता है कि शारीरिक दर्द किसी व्यक्ति को होने वाली शारीरिक परेशानी या दर्द हो सकता है।
- यह यह भी स्पष्ट करता है कि शारीरिक दुर्बलता का मतलब कमज़ोरी या शारीरिक दुर्बलता है।
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बीएनएस धारा 114 के उदाहरण
चोरी में उपस्थिति: यदि ‘ए’ को पता है कि ‘बी’ और ‘सी’ डकैती करने वाले हैं और वह उस स्थान पर मौजूद रहता है, जब वे डकैती कर रहे होते हैं, तो ‘ए’ को भी चोरी में सहयोगी माना जाएगा, भले ही वह सक्रिय रूप से मौजूद न हो।
चोरी में उपस्थिति: यदि ‘राम’ और ‘श्याम’ द्वारा ‘मोहन’ को पीटने की योजना विफल हो जाती है, और ‘विजय’ उस समय वहां मौजूद रहता है, जब वे ‘मोहन’ को पीटने की योजना बनाते हैं, तो ‘विजय’ को भी चोरी में सहयोगी माना जा सकता है।
जानिए बीएनएस धारा 114 सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 114 के तहत, दोषी पाए जाने पर दुष्प्रेरक को उसी अपराध के लिए दंडित किया जाएगा जो वास्तविक अपराधी को किया गया है। उसे केवल उसकी उपस्थिति के कारण दुष्प्रेरक नहीं माना जाएगा बल्कि उसे अपराध में सक्रिय भागीदार माना जाएगा।