क्या कहती है BNS की धारा 115,जानें महत्वपूर्ण बातें

BNS SECTION 115, BNS SECTION 115 in Hindi
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BNS Section 115 in Hindi:  बीएनएस की धारा 115 भारतीय न्याय संहिता बीएनएस धारा 115 स्वेच्छा से चोट पहुँचाने से संबंधित है। यह धारा उन स्थितियों को परिभाषित करती है जहाँ कोई व्यक्ति जानबूझकर या इस ज्ञान के साथ कि उसके कार्यों से किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक नुकसान पहुँचने की संभावना है, उसे चोट पहुँचाता है। तो चलिए जानते  हैं ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 115 क्या कहती है? BNS Section 115 in Hindi

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (BNS) की धारा 115 “स्वेच्छा से चोट पहुँचाने” के अपराध को परिभाषित करती है। यह प्रावधान किसी व्यक्ति को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने या यह जानते हुए कि आपके कार्य से नुकसान पहुंचने की संभावना है, से संबंधित है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे एक वर्ष तक का कारावास या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

यह धारा मुख्य रूप से दो उपधाराओं में विभाजित है

धारा 115(1) – यह स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के अपराध को परिभाषित करती है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने के इरादे से या इस ज्ञान के साथ कोई कार्य करता है कि उसके कार्य से उसे चोट पहुँचने की संभावना है, तो इसे स्वेच्छा से चोट पहुँचाना माना जाएगा।

धारा 115(2) – यह स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के अपराध के लिए सज़ा का प्रावधान करती है। इसके तहत, दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक की कैद या ₹10,000 तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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बीएनएस धारा 115 की मुख्य बातें

  • इस धारा के तहत अपराध के लिए इरादा या जानकारी महत्वपूर्ण है। आरोपी का इरादा चोट पहुँचाने का होना चाहिए या उसे पता होना चाहिए कि उसके कृत्य से चोट पहुँच सकती है।
  • आरोपी ने ऐसा कृत्य किया होगा जिससे किसी व्यक्ति को चोट पहुँची हो।
  • यह एक गैर-संज्ञेय अपराध है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ़्तारी नहीं कर सकती।
  • यह अपराध समझौता योग्य है, जिसका अर्थ है कि पीड़ित और आरोपी आपसी सहमति से मामले को सुलझा सकते हैं।
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 को भारतीय न्यायिक संहिता की धारा 115(2) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

जानिए बीएनएस धारा 115 सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 115 के तहत, धारा 115(2) में कहा गया है कि जो कोई भी स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है, उसे एक वर्ष तक की कैद, 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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