BNS Section 146 in Hindi: भारतीय न्याय संहिता (BNS) धारा 146 गैरकानूनी अनिवार्य श्रम से संबंधित है, जिसे आमतौर पर “बंधुआ मजदूरी” या “जबरन मजदूरी” भी कहा जाता है। यह धारा उन व्यक्तियों को दंडित करती है जो किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध गैरकानूनी श्रम करने के लिए मजबूर करते हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 146 क्या कहती है? BNS Section 146 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के तहत धारा 146 गैरकानूनी अनिवार्य श्रम से संबंधित है। यह धारा किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध काम करने के लिए मजबूर करना अपराध बनाती है और इसके लिए सज़ा का प्रावधान करती है।
बीएनएस धारा 146 की मुख्य बातें
अपराध की परिभाषा: यह धारा स्पष्ट करती है कि “जो कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध अवैध रूप से श्रम करने के लिए मजबूर करता है, वह अपराध करता है।”
अवैध अनिवार्य श्रम: “अवैध रूप से” का अर्थ है वैध अधिकार के बिना या वैध अनुबंध या कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए। “इच्छा के विरुद्ध” का अर्थ है व्यक्ति की स्वतंत्र सहमति के बिना।
- यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।
- यह एक जमानती अपराध (Bailable offence) है, यानी इसमें जमानत मिलना अपेक्षाकृत आसान होता है।
- यह किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
बीएनएस धारा 145 उदाहरण
बीएनएस (BNS) धारा 146 उदाहरण कुछ इस तरह से है कि…उदाहरण 1–महत्व-दासों का निर्यात एक व्यक्ति ‘ए’ किसी अफ्रीकी देश से बच्चों को भारत लाता है और उन्हें गुलामी या यौन शोषण के लिए बेचता है। यदि ‘ए’ ऐसा बार-बार करता है, यानी आदतन, तो यह बी.एस.सी. की धारा 145 के तहत एक गंभीर अपराध होगा।
उदाहरण 2: दासों के लिए बाजार और बाज़ार
एक गिरोह ‘बी’ गरीब परिवारों के सदस्यों को नकदी का लालच देकर या धोखाधड़ी से खरीदता है और फिर उन्हें बड़े शहरों में घरेलू नौकर या बंधुआ मजदूर के रूप में बेच देता है। यदि यह गिरोह नियमित रूप से ऐसा करता है, तो उन पर बी.एस.सी. की धारा 145 के तहत आरोप लगाया जाएगा। आपको बता दें, धारा 146 के तहत दी जाने वाली सजा यह है कि अगर कोई व्यक्ति इस अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे निम्नलिखित सजाएं दी जा सकती हैं: एक साल तक की कैद। जुर्माना लगाया जा सकता है। या दोनों।
यह धारा क्यों महत्वपूर्ण है?
यह धारा मानव अधिकारों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सभी प्रकार के जबरन श्रम या बंधुआ मजदूरी पर रोक लगाता है जो व्यक्तियों की स्वतंत्रता और उनके काम करने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। भारत में ऐतिहासिक रूप से बंधुआ मजदूरी की समस्या रही है, और यह धारा ऐसे शोषण को रोकने और दोषियों को दंडित करने में सहायक है।