BNS Section 177 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 177 कोई भी व्यक्ति जो किसी कानून या नियम द्वारा चुनाव के संबंध में व्यय का लेखा रखने के लिए बाध्य है, और ऐसा करने में विफल रहता है, वह अपराध का दोषी होगा। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 177 क्या कहती है? BNS Section 177 in Hindi
बीएनएस धारा 177 की मुख्य बाते
- चुनाव व्यय का लेखा-जोखा न रखना।
- ₹5,000 तक का जुर्माना। इसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
- अभियुक्त को जमानत मिल सकती है। मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी।
- यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि यह धारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 177 से अलग है, जो किसी लोक सेवक को झूठी सूचना देने से संबंधित है।
- भारतीय दंड संहिता में, चुनाव खर्च का लेखा-जोखा न रखने का अपराध एक असंज्ञेय और ज़मानती अपराध है, जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
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सजा का प्रावधान
इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 177 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि इस अपराध के लिए जुर्माना (Fine Charges) लगाया जा सकता है। यह एक ज़मानती और असंज्ञेय अपराध है। जिसका अर्थ है कि पुलिस को इसे दर्ज करने के लिए मजिस्ट्रेट (Magistrate) की अनुमति लेनी होगी। यह एक ज़मानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि इसमें ज़मानत मिलना आसान है। इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जाती है।