क्या कहती है BNS की धारा 183, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 183 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 183 “सरकार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से सरकारी स्टाम्प लगे किसी दस्तावेज से लेखन को मिटाना या स्टाम्प हटाना” से संबंधित है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 183 क्या कहती है? BNS Section 183 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 183 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 183 यह धारा उन लोगों को दंडित करती है जो धोखाधड़ी से या सरकार को हानि पहुँचाने के इरादे से, राजस्व के उद्देश्य से जारी किसी सरकारी स्टाम्प सामग्री से कोई लेखन या दस्तावेज़ हटाते या मिटाते हैं। इसका उद्देश्य स्टाम्प का पुन: उपयोग करके सरकार को राजस्व की हानि पहुँचाना हो सकता है।

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BNS की धारा 183 महत्वपूर्ण बातें

  • स्वैच्छिकता – बयान दर्ज करने से पहले, मजिस्ट्रेट व्यक्ति को समझाएगा कि वह बयान देने के लिए बाध्य नहीं है और इसका इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जा सकता है।
  • सुरक्षा – यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि बयान देने वाले व्यक्ति पर कोई दबाव न हो और वह स्वतंत्र रूप से अपनी बात रख सके।
  • प्रक्रिया – बयान दर्ज करते समय, मजिस्ट्रेट को बयान की स्वैच्छिकता और व्यक्ति की सहमति का उल्लेख करना होगा।
  • साक्ष्य – मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया गया बयान साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य है।
  • अतिरिक्त प्रावधान – इस धारा में विकलांग व्यक्तियों (जैसे महिलाओं) की सुरक्षा के लिए भी विशेष प्रावधान हैं।
  • ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग – कुछ मामलों में, बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जा सकती है।

बीएनएस धारा 183 का उदाहरण

बीएनएस धारा 183 का उदाहरण कुछ इस तरह से है कि, यदि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है और वह मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना अपराध स्वीकार करना चाहता है, तो मजिस्ट्रेट बीएनएसएस की धारा 183 के तहत उस व्यक्ति का अपराध स्वीकारोक्ति दर्ज करेगा। यह स्वीकारोक्ति जाँच के दौरान या जाँच के बाद, लेकिन मुकदमे से पहले दर्ज की जा सकती है। मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेगा कि स्वीकारोक्ति स्वेच्छा से दी गई हो, किसी दबाव में नहीं। स्वीकारोक्ति दर्ज होने के बाद, इसे उस मजिस्ट्रेट के पास भेजा जाता है जो मामले की जाँच या सुनवाई कर रहा है।

बीएनएस धारा 183 सजा 

इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 183 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि इस अपराध की सज़ा तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों है। यह एक संज्ञेय और जमानतीय अपराध है, जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।

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