क्या कहती है BNS की धारा 193, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 193 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 193, भूमि के मालिक या अधिभोगी पर गैरकानूनी जमावड़े या दंगे को रोकने या उसकी सूचना देने की ज़िम्मेदारी डालती है, ऐसा न करने पर उन पर ₹1,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह सुनिश्चित करती है कि वे दंगे को दबाने के लिए सभी क़ानूनी उपाय करें। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 193 क्या कहती है? BNS Section 193 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 193 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 193, जब कभी कोई विधिविरुद्ध जमाव या दंगा होता है, तो उस भूमि का स्वामी या अधिभोगी, जिस पर ऐसा विधिविरुद्ध जमाव होता है, या ऐसा दंगा किया जाता है, और कोई व्यक्ति जो ऐसी भूमि में हित रखता है या होने का दावा करता है, एक हजार रुपए से अनधिक जुर्माने से दण्डनीय होगा।

यदि वह या उसका प्रतिनिधि या प्रबंधक यह जानते हुए कि ऐसा अपराध किया जा रहा है या किया जा चुका है, या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसा अपराध किया जाना सम्भाव्य है, निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के कार्यालय को इसकी तुरन्त सूचना नहीं देता है, और यदि उसे यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसा अपराध होने वाला है, तो उसे रोकने के लिए अपनी शक्ति में सभी वैध साधनों का प्रयोग नहीं करता है, और ऐसा होने की स्थिति में, दंगे या विधिविरुद्ध जमाव को तितर-बितर करने या दबाने के लिए अपनी शक्ति में सभी वैध साधनों का प्रयोग नहीं करता है।

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बीएनएस धारा 193 की महतवपूर्ण बातें 

  • मानवाधिकारों का संरक्षण – यह धारा मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है, खासकर उन लोगों के लिए जो पुलिस द्वारा सत्ता के दुरुपयोग के शिकार हो सकते हैं।
  • कानून का शासन – यह कानून के शासन को बनाए रखने में मदद करता है, जहाँ कोई भी, यहाँ तक कि पुलिस भी, कानून से ऊपर नहीं है।
  • पुलिस सुधार – यह धारा पुलिस सुधारों को बढ़ावा देती है, जिससे पुलिस बल नागरिकों के प्रति अधिक पेशेवर और संवेदनशील बनता है।

बीएनएस धारा 193 सजा 

इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 193 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान कुछ इस तरह से है कि…इस धारा में मुख्य रूप से कहा गया है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना किसी वैध कारण के या उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना गिरफ्तार करता है, तो उसे 2 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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