क्या कहती है BNS की धारा 201, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 201 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 201, कोई भी लोक सेवक जो जानबूझकर कोई झूठा दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार करता है या उसका अनुवाद करता है जिससे किसी व्यक्ति को नुकसान पहुँच सकता है, उसे तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 201 क्या कहती है? BNS Section 201 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 201 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 201, “किसी लोक सेवक द्वारा क्षति पहुँचाने के इरादे से मिथ्या दस्तावेज़ तैयार करने” से संबंधित है। यह धारा उन लोक सेवकों पर लागू होती है जो अपनी आधिकारिक हैसियत में जानबूझकर कोई ऐसा दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार, बनाते या अनुवाद करते हैं जिसके बारे में उन्हें पता है या विश्वास है कि वह मिथ्या है।

बीएनएस धारा 201 की महतवपूर्ण बातें  

  • इस धारा का मुख्य उद्देश्य सरकारी अभिलेखों की सत्यता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करना है, ताकि लोक सेवकों को अपने पद का दुरुपयोग करके दूसरों को नुकसान पहुँचाने से रोका जा सके।
  • यह धारा एक लोक सेवक के रूप में दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार करने, बनाने या अनुवाद करने से संबंधित है।
  • इस अपराध के लिए यह आवश्यक है कि लोक सेवक जानबूझकर या अनजाने में कोई दस्तावेज़ बनाए, और यह जानते हुए भी कि वह झूठा है।
  • इस अपराध के लिए यह आवश्यक है कि लोक सेवक किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाने का इरादा रखता हो, या जानता हो कि उसके कार्य से किसी व्यक्ति को चोट पहुँचने की संभावना है।

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बीएनएस धारा 201 की उदहारण और सजा

यदि कोई सरकारी कर्मचारी जानबूझकर किसी व्यक्ति के ज़मीन के कागज़ात में गलत जानकारी दर्ज करता है, जिससे उस व्यक्ति को क़ानूनी या आर्थिक नुकसान होता है, तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के तहत अपराध है और इसके तहत कड़ी सज़ा का प्रावधान है। वही यदि कोई अधिकारी किसी व्यक्ति को सरकारी लाभ प्राप्त करने से रोकने के लिए सरकारी दस्तावेज़ का गलत अनुवाद करता है, तो यह भी इसी धारा के अंतर्गत आता है।

इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 200 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि  इस धारा का उल्लंघन करने पर तीन वर्ष तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं, जिसका उद्देश्य समानता की भावना को बढ़ावा देना है। यह एक संज्ञेय और जमानतीय अपराध है, जिसका विचारण प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाता है।

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