क्या कहती है BNS की धारा 202, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 202 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 202, उन लोक सेवकों को वैध रूप से वकालत करने से रोकती है, जो लोक सेवक के रूप में पेशे का पालन न करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं। इस धारा का उल्लंघन करने पर, किसी व्यक्ति को उसके पद से निलंबित, अक्षम या दोनों किया जा सकता है, या एक वर्ष तक के लिए कोचिंग सेवा से संबद्ध किया जा सकता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 202 क्या कहती है? BNS Section 202 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 202 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 202, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 के प्रावधानों के समान है। यह धारा किसी लोक अधिकारी द्वारा विधिपूर्वक जारी किए गए आदेश की अवज्ञा (अवज्ञा) से संबंधित है।

लोक अधिकारी द्वारा आदेश की अवज्ञा: यदि कोई व्यक्ति किसी लोक अधिकारी द्वारा विधिपूर्वक जारी किए गए आदेश की अवज्ञा करता है, और ऐसी अवज्ञा से किसी व्यक्ति को चोट, खतरा या परेशानी होती है, तो इसे अपराध माना जाएगा।

बीएनएस धारा 202 की महतवपूर्ण बातें  

  • यह महत्वपूर्ण है कि सरकारी अधिकारी द्वारा जारी किया गया आदेश कानूनी रूप से मान्य हो। यदि आदेश वैध नहीं है, तो उसकी अवज्ञा करना इस धारा के अंतर्गत अपराध नहीं माना जाएगा।
  • इसे तभी अपराध माना जाएगा जब अवज्ञा जानबूझकर की गई हो। यदि कोई व्यक्ति गलती से या अनजाने में आदेश का पालन नहीं करता है, तो उसे इस धारा के अंतर्गत दंडित नहीं किया जाएगा।
  • यह धारा सार्वजनिक शांति, व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह सुनिश्चित करती है कि लोग सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी वैध आदेशों का पालन करें।
  • यह धारा सरकारी कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करने और हितों के टकराव से बचने के लिए बनाई गई है। 

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बीएनएस धारा 202 की और सजा

इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 202 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि अपराध के दोषी पाए जाने पर, व्यक्ति को एक वर्ष तक का साधारण कारावास, जुर्माना, या सामुदायिक सेवा की सजा हो सकती है। 

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