BNS Section 210 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 210, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 175 का स्थान लेती है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह उस अपराध से संबंधित है जब कोई व्यक्ति, जो कानूनी रूप से किसी लोक सेवक को कोई दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड देने के लिए बाध्य है, जानबूझकर ऐसा करने में विफल रहता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 210 क्या कहती है? BNS Section 210 in Hindi
जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 210 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 210, यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक या न्यायालय के समक्ष कोई दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, और वह जानबूझकर ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है।
यदि दस्तावेज़ न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे छह महीने तक के साधारण कारावास, दस हज़ार रुपये तक के जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्ध हों।
बीएनएस धारा 210 की महतवपूर्ण बातें
- किसी भी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को किसी लोक सेवक को प्रस्तुत करने या सौंपने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।
- जानबूझकर ऐसा करने में विफल रहता है।
उदाहरण 1: रवि एक व्यवसायी है जिसे आयकर विभाग ने अपनी कंपनी के वित्तीय रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। नोटिस मिलने के बावजूद, रवि जानबूझकर रिकॉर्ड प्रस्तुत करने में विफल रहता है। इस मामले में, रवि पर आयकर अधिनियम की धारा 210 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
उदाहरण 2: प्रिया एक दीवानी मुकदमे में शामिल है और अदालत ने उसे सबूत के तौर पर कुछ ईमेल और लेन-देन के रिकॉर्ड प्रस्तुत करने को कहा है। प्रिया जानबूझकर ये रिकॉर्ड प्रस्तुत करने से इनकार करती है। इस मामले में, अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के लिए प्रिया को धारा 210 के तहत दंडित किया जा सकता है।
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बीएनएस धारा 210 की और सजा
इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 209 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि अपराध के दोषी पाए जाने पर, धारा 210 में दो प्रकार के दंड का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक (जैसे, पुलिस अधिकारी, आयकर अधिकारी, आदि) को कोई दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने में विफल रहता है और ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे एक महीने तक की साधारण कारावास या पाँच हज़ार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
यदि कोई व्यक्ति न्यायालय में कोई दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने में विफल रहता है और ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे छह महीने तक की साधारण कारावास या दस हज़ार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।