क्या कहती है BNS की धारा 215, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 215 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 215 के अनुसार, किसी लोक सेवक द्वारा अपेक्षित कथन पर हस्ताक्षर करने से इनकार
यह धारा उस स्थिति को संबोधित करती है जब कोई व्यक्ति, सक्षम होने के बावजूद, किसी लोक सेवक द्वारा कानूनी रूप से अपेक्षित कथन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर देता है।  तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 215 क्या कहती है? BNS Section 215 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 215 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 215, किसी लोक सेवक द्वारा अपेक्षित बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने पर दंड का प्रावधान करती है।

इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति, ऐसा करने में सक्षम होने के बावजूद, किसी लोक सेवक द्वारा अपेक्षित बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है, तो उसे तीन महीने तक की कैद, ₹3,000 तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रणाली में निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करना है।

बीएनएस धारा 215 की महतवपूर्ण बातें 

  • इसका प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रियाएँ निष्पक्ष और ईमानदार हों, और लोक सेवक वैध निर्देशों का पालन करें।
  • यह प्रावधान उन व्यक्तियों पर लागू होता है जो पुलिस या किसी अन्य अधिकृत लोक सेवक के समक्ष गवाह के रूप में बयान देते हैं और बाद में उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर देते हैं।
  • यह अपराध तब होता है जब कोई व्यक्ति, किसी लोक सेवक को बयान देने के बाद, उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर देता है।
  • इस धारा का प्राथमिक उद्देश्य किसी व्यक्ति को कानूनी कार्यवाही में उसके बयान के लिए जवाबदेह ठहराना और उसकी सत्यता सुनिश्चित करना है। बयान पर हस्ताक्षर करना पुष्टिकरण माना जाता है।

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बीएनएस धारा 215 की और सजा

इसके अलवा आपको बता दें कि BNS  की धारा (Section) 215 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि, धारा 215 में इस प्रकार के दंड (Punishment)  का प्रावधान है। यदि दी गई झूठी जानकारी किसी सामान्य विषय से संबंधित है, तो दोषी व्यक्ति को छह महीने तक के साधारण कारावास (Imprisonment), ₹3000 तक के जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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