क्या कहती है BNS की धारा 221, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 221 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 221 के अनुसार, “किसी लोक सेवक को उसके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में स्वेच्छा से बाधा डालने” से संबंधित है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 221 क्या कहती है? BNS Section 221 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 221 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं।  भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 221 के अनुसार, जो कोई भी किसी लोक सेवक को उसके लोक कार्यों के निर्वहन में स्वेच्छा से बाधा डालता है, उसे दंडित किया जाएगा।

यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी बिना किसी अनुचित हस्तक्षेप के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। उदाहरण के लिए, यदि कोई स्थानीय दुकानदार किसी नगरपालिका अधिकारी को स्वास्थ्य निरीक्षण करने से रोकता है, तो यह धारा 221 का उल्लंघन होगा।

बीएनएस धारा 221 की महतवपूर्ण बातें 

  • यह अपराध असंज्ञेय है, अर्थात पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
  • यह ज़मानती है, अर्थात इसमें ज़मानत मिलना अपेक्षाकृत आसान है।
  • इसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
  • यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि लोक सेवक बिना किसी बाधा या रुकावट के अपने आधिकारिक और कानूनी कर्तव्यों का पालन कर सकें।
  • आपको बता दें, बीएनएस (BNS) की धारा 221, भारतीय दंड संहिता (IPC) की पिछली धारा 186 का स्थान लेती है, जिससे जुर्माने की राशि ₹500 से बढ़कर ₹2,500 हो जाती है।
  • यह अनुच्छेद लोगों को सरकारी काम में देरी करने या बाधा डालने से हतोत्साहित करता है तथा कानूनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में सरकारी अधिकारियों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है।

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बीएनएस धारा 221 की और सजा

इसके अलवा आपको बता दें कि BNS  की धारा (Section) 221 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि, धारा 221 में इस प्रकार के दंड (Punishment)  का प्रावधान है। यदि दी गई झूठी जानकारी किसी सामान्य विषय से संबंधित है, तो दोषी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के कारावास से, जिसकी अवधि तीन महीने तक हो सकती है, या दो हजार पांच सौ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडनीय है।

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