क्या कहती है BNS की धारा 222, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 222 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 222 मुख्य रूप से लोक सेवक (Public Servant) की सहायता करने का लोप (Omission to assist public servant) करने से संबंधित है, जब कोई व्यक्ति कानूनी रूप से सहायता देने के लिए बाध्य हो। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 222 क्या कहती है? BNS Section 222 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 222 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 222 के अनुसार, किसी लोक सेवक को कानूनी रूप से बाध्य होने पर भी जानबूझकर सहायता प्रदान न करने के अपराध से संबंधित है, जिसे “सहायता प्रदान करने में विफलता” कहा जाता है।

इसके तहत, सहायता प्रदान करने में साधारण विफलता के लिए 1 महीने तक की कैद या ₹2,500 तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं, जबकि अपराधी को रोकने या पकड़ने में विफलता के लिए 6 महीने तक की कैद, ₹5,000 तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

उदाहरण: यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी अपराधी को पकड़ने में आपकी सहायता मांगता है और कानूनी तौर पर आपकी सहायता करना अनिवार्य है (जैसे कि कोई निकटवर्ती नागरिक), लेकिन आप जानबूझकर सहायता करने से इनकार करते हैं, तो आपको इस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 222 की महतवपूर्ण बातें 

  • यह तब लागू होता है जब कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को उसके सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन में सहायता करने के लिए कानून द्वारा बाध्य होता है।
  • जानबूझकर सहायता प्रदान करने में विफलता या चूक एक अपराध है।
  • यदि कोई लोक सेवक किसी न्यायालय के विधिपूर्वक प्रख्यापित आदेश को क्रियान्वित करने, या किसी अपराध को घटित होने से रोकने, या किसी दंगे या मामले को दबाने, या किसी अपराधी को पकड़ने के उद्देश्य से सहायता मांगता है।

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बीएनएस धारा 222 की और सजा

इसके अलवा आपको बता दें कि BNS  की धारा (Section) 222 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि, धारा 222 में इस प्रकार के दंड (Punishment)  का प्रावधान है। यदि दी गई झूठी जानकारी किसी सामान्य विषय से संबंधित है, तो दोषी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के कारावास से, जिसकी अवधि तीन महीने तक हो सकती है, या दो हजार पांच सौ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडनीय है।

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