कैसे बने शिबू सोरेन आदिवासी दलितो के मसीहा

By: Shikha 

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शिबू सोरेन को "दिशोम गुरु" और आदिवासियों तथा दलितों का मसीहा कहा जाता है।

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शिबू सोरेन का बचपन एक दुखद घटना से प्रभावित हुआ था। जब वह 13 साल के थे, तो महाजनों ने कथित तौर पर उनके पिता की हत्या कर दी थी।

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इस घटना ने उन्हें महाजनी और सूदखोरी प्रथा के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आदिवासियों को एकजुट करके "धन कटनी अभियान" चलाया

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शिबू सोरेन ने अलग झारखंड राज्य के लिए एक लंबा और कठिन संघर्ष किया। उन्होंने महसूस किया कि आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के विकास के लिए एक अलग राज्य का होना जरूरी है।

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4 फरवरी 1973 को, उन्होंने बिनोद बिहारी महतो और ए. के. रॉय के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की।

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इस संगठन का मुख्य उद्देश्य झारखंड को बिहार से अलग करके एक नया राज्य बनाना था। उनका यह संघर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद सफल हुआ।

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