जानें कौन है रेट्टामलाई श्रीनिवासन, जिन्हें दादा के नाम से भी जाना जाता है

By: Shikha

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रेट्टामलाई श्रीनिवासन, जिन्हें दादा के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु के एक प्रमुख दलित कार्यकर्ता थे। उनका जीवन दलित समुदाय के अधिकारों और सम्मान के लिए समर्पित था।

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उन्होंने दलितों के बीच राजनीतिक चेतना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1893 में, उन्होंने आदि द्रविड़ जन सभा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दलितों के अधिकारों की रक्षा करना था

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वे डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के साथ लंदन में हुए तीनों गोलमेज सम्मेलनों  में शामिल हुए। इन सम्मेलनों में उन्होंने दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग को मजबूती से उठाया।

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1932 में, महात्मा गांधी और डॉ. अम्बेडकर के बीच हुए पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करने वालों में वे भी शामिल थे।

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इस समझौते के तहत दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग को छोड़ दिया गया और आरक्षित सीटों की व्यवस्था की गई।

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उन्होंने न केवल दलित अधिकारों के लिए संघर्ष किया, बल्कि भारत की आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। उनका मानना था कि स्वतंत्रता के बिना सामाजिक न्याय संभव नहीं है।

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