BNS Section 203 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 203, लोक सेवकों को किसी भी विशिष्ट संपत्ति का स्वामित्व रखने या उस पर बोली लगाने से रोकती है, जिसे उन्होंने वैध रूप से अर्जित किया है। इस धारा का उल्लंघन करने पर दो साल तक की सज़ा, जुर्माना या दोनों, और संपत्ति ज़ब्त करने का प्रावधान है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 203 क्या कहती है? BNS Section 203 in Hindi
जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 203 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 203, आपराधिक धमकी के अपराध को परिभाषित करती है और इसके लिए दंड का प्रावधान करती है। इसका उद्देश्य लोगों को डराना या डराना है ताकि वे ऐसा कुछ करें जो वे नहीं करना चाहते, या ऐसा कुछ करने से बचें जो वे कानूनी तौर पर कर सकते हैं।
बीएनएस धारा 203की महतवपूर्ण बातें
- इसका उद्देश्य लोक सेवकों को अपने पद का दुरुपयोग करने और अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने से रोकना और लोक प्रशासन में विश्वसनीयता और सेवाभाव सुनिश्चित करना है।
- एक लोक सेवक के रूप में, यदि आपको किसी विशेष संपत्ति को खरीदने या बोली लगाने से कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन फिर भी आप उस संपत्ति को अपने नाम से, किसी और के नाम से, या संयुक्त रूप से खरीदते हैं या बोली लगाते हैं, तो यह एक अपराध है।
- यह धारा उन लोक सेवकों पर लागू होती है जिन्हें अपने सार्वजनिक पद के कारण किसी संपत्ति को खरीदने या बोली लगाने से कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
- इस धारा के उल्लंघन में खरीदी गई संपत्ति को भी जब्त करने का प्रावधान है।
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बीएनएस धारा 203 की और सजा
इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 203 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि अपराध के दोषी पाए जाने पर, व्यक्ति को दो साल तक की साधारण कारावास (जेल) की सज़ा हो सकती है। इसके अलावा, उसे जुर्माना भी लगाया जा सकता है, या कारावास और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।