Dalit men Beaten up: हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बहराइच (Bahraich) में एक दलित युवक के साथ मारपीट और जातिसूचक गाली-गलौज का मामला सामने आया है। जहां, बहराइच (Bahraich) के हुजूरपुर थाना (Huzurpur police station) क्षेत्र के त्रिकोलिया ग्राम पंचायत ( Trikolia Gram Panchayat) के एक दलित युवक के साथ बिना किसी कारण के मारपीट की गई और उसे जातिसूचक गालियां भी दी गईं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताया बताते है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दलितों के साथ अत्यचार कोई नई बात नहीं रोज ही उनके साथ अत्यचार की खबर सामने आती है ऐसी ही एक खबर बहराइच (Bahraich) के हुजूरपुर थाना क्षेत्र (Huzurpur police station) के त्रिकोलिया ग्राम पंचायत ( Trikolia Gram Panchayat) से सामने आई है जहाँ जातिगत उत्पीड़न का मामला सामने आया है। दरअसल यह घटना मंगलवार शाम साढ़े सात बजे की है। अनुसूचित जाति के पप्पू (पिता मेवालाल) अपने घर पर मौजूद थे। इसी बीच पड़ोसी वहां पहुंच गए। उन्होंने पप्पू को जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया।
पप्पू ने जब इस बात का विरोध किया तो उसकी बेहरमी से पिटाई कर दी इतना ही नहीं आरोपियों ने पीड़ित के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। वही जान से मारने की धमकी भी दी। जिसके बाद पीड़ित ने बुधवार को स्थनीय थाने में जाकर तहरीर दी है।वही पुलिस ने पूरी घटना का संज्ञान लेते हुए शिकयत दर्ज कर ली है और पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया है की पुलिस मामले की जांच कर रही है जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जायेगा।
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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम क्या है?
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, जिसे आमतौर पर “एससी/एसटी एक्ट” के नाम से जाना जाता है, भारत की संसद द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून है। इसका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के सदस्यों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों और भेदभाव को रोकना और उन्हें न्याय दिलाना है।
इस अधिनियम का उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों को राहत प्रदान करना है जो उनके खिलाफ अपराधों (अधिनियम में “अत्याचार” के रूप में परिभाषित) के शिकार हैं। इन अपराधों के लिए विशेष अदालतों की स्थापना ताकि मामलों की त्वरित सुनवाई हो सके। अपराधियों को राहत और व्यवस्थित समाधान। इन समुदायों के सम्मान और आत्म-सम्मान के साथ जीने के अधिकार को सुनिश्चित करना। अधिनियम विभिन्न प्रकार के कृत्यों को “अत्याचार” के रूप में परिभाषित करता है, जैसे शारीरिक हिंसा, धमकी, सामाजिक हिंसा