BNS Section 172 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 173 रिश्वतखोरी के दंड से संबंधित है। यह धारा उन कृत्यों को परिभाषित करती है जिन्हें रिश्वतखोरी माना जाएगा और उनके लिए दंड निर्धारित करती है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 172 क्या कहती है? BNS Section 172 in Hindi
बीएनएस धारा 172 की मुख्य बातें
- “उपचार” द्वारा रिश्वत: इसमें एक विशेष प्रावधान है: यदि रिश्वत “उपचार” के रूप में दी जाती है, तो दंड केवल जुर्माना होगा। “उपचार” से तात्पर्य रिश्वत के उस रूप से है जहाँ संतुष्टि भोजन, पेय, मनोरंजन या किसी अन्य प्रकार के प्रावधान के रूप में दी जाती है।
- यह एक असंज्ञेय अपराध है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
- यह एक ज़मानतीय अपराध है, जिसका अर्थ है कि अभियुक्त को ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है।
- इसका विचारण प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकता है।
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इसके अलवा आपको बता दें कि धारा 170 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि जो कोई रिश्वतखोरी का अपराध करेगा, उसे एक वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकेगा। इसके अलावा उसे जेल भी हो सकती है।