क्या कहती है BNS की धारा 186, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

BNS Section 186, BNS Section 186 In Hindi
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BNS Section 186 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 186 “नकली डाक टिकटों के निषेध” से संबंधित है। यह धारा नकली डाक टिकटों के निर्माण, उपयोग या व्यापार करने वालों के लिए दंड का प्रावधान करती है। यदि किसी व्यक्ति के पास बिना किसी वैध कारण के ऐसे नकली टिकट या उन्हें बनाने के उपकरण पाए जाते हैं, तो उसे भी दंडित किया जा सकता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 186क्या कहती है? BNS Section 186 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 183 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 186, इस धारा के अंतर्गत, ‘नकली स्टाम्प’ का अर्थ है ऐसा स्टाम्प जो डाक के लिए सरकार द्वारा जारी किया गया स्टाम्प होने का झूठा दावा करता है, या किसी सरकारी स्टाम्प की प्रतिलिपि या प्रतिकृति है। ऐसा अपराध दो सौ रुपये तक के जुर्माने से दण्डनीय है।
  • यह एक असंज्ञेय अपराध है..इसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती।
  • दृष्टि न्यायपालिका के अनुसार शिकायत आवश्यक है, इस धारा के तहत किसी अपराध का संज्ञान केवल पीड़ित लोक सेवक या उसके वरिष्ठ अधिकारी की लिखित शिकायत पर ही लिया जा सकता है।

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बीएनएस धारा 186 का उदाहरण

बीएनएस धारा 186 का उदाहरण कुछ इस तरह से है कि, मान लीजिए कि किसी पुलिस अधिकारी को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का वारंट मिला है। जब पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति के घर पहुँचता है, तो उसके परिवार के सदस्य पुलिस अधिकारी को अंदर जाने से रोकते हैं और उसे गिरफ्तार व्यक्ति से मिलने नहीं देते। इस स्थिति में, परिवार के सदस्यों ने पुलिस अधिकारी के सार्वजनिक कर्तव्य में बाधा डाली है। इसलिए, उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के तहत आरोप लगाया जा सकता है।

बीएनएस धारा 186सजा 

इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 186 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि इस अपराध की सज़ा तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों है। यह एक संज्ञेय और जमानतीय अपराध है, जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।

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