क्या कहती है BNS की धारा 209, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 209 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 209, लोक सेवकों के वैधानिक प्राधिकार की अवमानना ​​से संबंधित है, खासकर जब कोई व्यक्ति न्यायालय द्वारा जारी उद्घोषणा का पालन करने में विफल रहता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 209 क्या कहती है? BNS Section 209 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 209 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 209, उन व्यक्तियों से संबंधित है जो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 84 के तहत जारी घोषणा का अनुपालन नहीं करते हैं।

यह धारा, जानबूझकर उद्घोषणा का पालन न करने वाले व्यक्ति को तीन वर्ष तक के कारावास, जुर्माने या दोनों से दंडित करती है। यह धारा भारतीय दंड संहिता की पूर्व धारा 174A का स्थान लेती है।

बीएनएस धारा 209 की महतवपूर्ण बातें  

  • बीएनएस की धारा 209 का उद्देश्य किसी व्यक्ति द्वारा न्यायालय द्वारा जारी उद्घोषणा का पालन न करने पर जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
  • यह तब लागू होता है जब कोई व्यक्ति न्यायालय द्वारा जारी उद्घोषणा का पालन करने में विफल रहता है, जिसमें उसे निर्दिष्ट स्थान और समय पर उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

इसका एक उदहारण भी है जैसे सुरेश पर एक गंभीर अपराध का आरोप है। पुलिस उसे कई बार गिरफ्तार करने की कोशिश करती है, लेकिन वह गिरफ्तारी से बचता रहता है और छिप जाता है। पुलिस को सूचना मिलती है कि सुरेश अपनी पहचान छिपाकर किसी दूसरे शहर में रह रहा है। जब पुलिस उसे ढूँढने में कामयाब नहीं होती, तो वे अदालत से सुरेश को भगोड़ा घोषित करने की माँग करते हैं। अदालत पुलिस की माँग स्वीकार कर लेती है और भारतीय नागरिक सेवा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 84 के तहत एक उद्घोषणा जारी करती है।

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बीएनएस धारा 209 की और सजा

इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 209 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि अपराध के दोषी पाए जाने पर, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर बीएनएसएस की धारा 84(1) के तहत प्रकाशित उद्घोषणा में निर्दिष्ट समय और स्थान पर उपस्थित नहीं होता है, तो उसे तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों या सामुदायिक सेवा से दंडित किया जा सकता है। यदि उसे उद्घोषित अपराधी घोषित किया जाता है, तो सजा सात साल तक बढ़ सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

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