क्या कहती है BNS की धारा 211, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 211 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 211, यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को कोई आवश्यक सूचना या नोटिस देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 211 क्या कहती है? BNS Section 211 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 211 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 211, किसी व्यक्ति द्वारा किसी लोक सेवक को सूचना या सूचना देने में विफलता से संबंधित है, जबकि वह ऐसा करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।

यह धारा सुनिश्चित करती है कि यदि कोई व्यक्ति, जो सूचना देने के लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी है, जानबूझकर ऐसा करने से बचता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। यह धारा लोक सेवकों के वैध प्राधिकार की अवमानना ​​के अंतर्गत आती है और ऐसा करने वाले व्यक्ति को कारावास या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

बीएनएस धारा 211 की महतवपूर्ण बातें  

  • इस धारा का मुख्य उद्देश्य किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोपों को रोकना है। यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने के इरादे से झूठी कानूनी कार्यवाही शुरू न करे।
  • यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी कि उसके विरुद्ध कोई वैध आधार नहीं है, किसी अन्य व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाता है, तो उसे इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जाएगा।
  • यह एक असंज्ञेय और जमानती अपराध है। इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।
  • यह धारा न्यायिक प्रणाली की अखंडता बनाए रखने और निर्दोष लोगों को झूठे मामलों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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बीएनएस धारा 211 की और सजा

इसके अलवा आपको बता दें कि धारा (Section) 211 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि अपराध के दोषी पाए जाने पर, धारा 211 में दो प्रकार के दंड का प्रावधान है। यदि झूठा आरोप 7 वर्ष से कम कारावास से दंडनीय अपराध से संबंधित है, तो दोषी को दो वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

गंभीर मामला – यदि झूठा आरोप 7 वर्ष या उससे अधिक कारावास, आजीवन कारावास या मृत्युदंड से दंडनीय अपराध से संबंधित है, तो दोषी को 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना हो सकता है।

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