क्या कहती है BNS की धारा 219, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 219 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 219 के अनुसार, इस धारा के तहत, कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर किसी लोक सेवक (सरकारी कर्मचारी) को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालता है, वह अपराध का दोषी है। इसमें उसके कर्तव्यों के निर्वहन में शारीरिक रूप से बाधा डालना, धमकी देना या अन्यथा हस्तक्षेप करना शामिल हो सकता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 219 क्या कहती है? BNS Section 219 in Hindi

जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 219 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं।  भारतीय न्याय संहिता (IPC) की धारा 184 के समान है और किसी लोक सेवक के वैध प्राधिकार द्वारा बिक्री के लिए रखी गई संपत्ति की बिक्री में जानबूझकर बाधा डालने के अपराध को परिभाषित करती है।

यदि कोई व्यक्ति, स्थानीय सरकार द्वारा एक कृषि भूमि की नीलामी में बाधा डालने के लिए लोगों को धरना देने के लिए उकसाता है, तो वह इस धारा के तहत अपराधी माना जा सकता है.

बीएनएस धारा 219 की महतवपूर्ण बातें 

  • इस धारा के तहत अपराध तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक द्वारा बिक्री के लिए रखी गई संपत्ति की बिक्री को जानबूझकर रोकता है या उसमें बाधा डालता है.
  • बिक्री का प्राधिकार लोक सेवक का वैध होना चाहिए, यानी सरकार या न्यायालय द्वारा कानूनी रूप से दी गई शक्ति के तहत संपत्ति को बेचने का कार्य किया जा रहा हो.
  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 219, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 184 का प्रतिस्थापन है, जिसमें इसी प्रकार के अपराधों से निपटने का प्रावधान था

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बीएनएस धारा 219 की और सजा

इसके अलवा आपको बता दें कि BNS  की धारा (Section) 219 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि, धारा 219 में इस प्रकार के दंड (Punishment)  का प्रावधान है। यदि दी गई झूठी जानकारी किसी सामान्य विषय से संबंधित है, तो दोषी व्यक्ति को एक महीने का कारावास और पाँच हज़ार रुपये  (Imprisonment), जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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