Jharkhand news: हाल ही में झारखण्ड के गिरिडीह से खबर सामने आई है जहाँ भाकपा माले (Communist Party of India Marxist-Leninist) ने देश में दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और पिछड़ों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। भाकपा माले के नेताओं ने कहा है कि इन समुदायों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और जनता को इसके खिलाफ आगे आने की जरूरत है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते है कि भाकपा माले बैठक में अथितियो ने क्या कहा?
भाकपा माले की ओर से उठाए गए सवाल
हाल ही में मंगलवार को धनवार स्थित भाकपा माले पार्टी कार्यालय में प्रखंड सचिव कयूम अंसारी की अध्यक्षता में प्रखंड कमेटी की बैठक हुई। बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में भाकपा माले (Communist Party of India Marxist-Leninist) के पूर्व विधायक राजकुमार यादव शामिल हुए। वही बैठक के बाद श्री यादव ने प्रेस वार्ता में कहा कि धनवार थाना क्षेत्र में हुए उदय यादव हत्याकांड में 13 नामजद अभियुक्तों में से अब तक मात्र चार की गिरफ्तारी हुई है। शेष नौ आरोपी अभी तक खुलेआम घूम रहे हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए भाकपा माले ने मार्च निकाला था।
इस बीच खोरीमहुआ के एसडीपीओ और प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी ने कहा कि 15 दिनों के अंदर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में सरना धर्म, 27 प्रतिशत ओबीसी (OBC) आरक्षण, जाति जनगणना और आरक्षण महत्वपूर्ण है। झारखंड में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) लंबित है। केंद्र सरकार को इसे लेकर विधेयक पारित करना चाहिए और जाति को उसकी आबादी के हिसाब से भागीदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की पहचान के लिए सरना धर्म कोड होना चाहिए। यह उनका मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि देश के अंदर दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों पर लगातार हमला हो रहा है। आदिवासियों और दलितों को निशाना बनाया जा रहा है।
सीपीआईएमएल का बड़ा ऐलान
लोगों को सक्रिय होने की जरूरत है। भाकपा माले ने कहा कि 1 जून को राजेंद्र दास की शहादत दिवस मनाया जाएगा और इन मुद्दों पर संकल्प सभा का आयोजन किया जाएगा। साथ ही दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और ओबीसी समुदाय को उनका अधिकार दिलाने के मुद्दे पर 10 जून को प्रखंड में बैठक आयोजित की जाएगी। बची हुई लोकल कमेटी को पूरा किया जाएगा। यह भी कहा गया कि धनवार में चंद लोगों के बीच ही विकास कार्य हो रहा है, जबकि अधिकांश लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। मनरेगा योजना पूरी तरह ठप है और बिना वित्तीय सहायता के इस योजना को मंजूरी नहीं मिल रही है।