Agra court decision: हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा (Agra) के की एक अदालत ने जातीय हिंसा के 35 साल पुराने मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 35 दोषियों को 5-5 साल कैद की सजा सुनाई है। यह घटना दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी को लेकर हुए बवाल के बाद हुई थी, जिसने बड़े पैमाने पर हिंसा का रूप ले लिया था। तो चलिए इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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35 साल बाद मिली दोषियों को सजा
दलितों के साथ अत्याचार पुराने समय से ही चलता आ रहा है लेकिन यह मामला 1990 का है, जब उत्तर प्रदेश के आगरा के एक पनवारी गांव (Panwari Village) में एक दलित समुदाय के दूल्हे की घुड़चढ़ी (घोड़ी पर बैठकर बारात निकालना) को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। कथित तौर पर, उच्च जाति के कुछ लोगों ने दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोका, जिससे तनाव बढ़ गया। यह विवाद इतना बढ़ गया था कि जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गया, जिसमें दोनों पक्षों के लोग शामिल थे और बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी। इस घटना में कई लोग घायल हुए थे और संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था।
हाल ही में आगरा के पनवारी कांड (Panwari Case) में एससी/एसटी कोर्ट (SC-ST Court) ने 35 आरोपियों को पांच साल कैद की सजा सुनाई है। इन आरोपियों ने दलित समुदाय (Dalit Community) की बस्ती पर हथियारों से हमला किया था, जिसके चलते कई घरों में आग लगा दी गई थी और लूटपाट की गई थी। इस हिंसक घटना में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी को निशाना बनाया गया था। इस तरह की वीभत्स हरकतों के चलते लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए थे।
लंबी कानूनी लड़ाई और अब फैसला
इस घटना के बाद तत्कालीन थाना प्रभारी ओमवीर सिंह ने 24 जून 1990 को एफआईआर (FIR) दर्ज कराई थी। मामले में 78 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश की गई थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से 27 आरोपियों की मौत हो चुकी है। पिछले तीन दशक से यह मामला कोर्ट में चल रहा था। विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं और साक्ष्यों की प्रस्तुति के बाद आखिरकार आगरा कोर्ट (Agra court) ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। आरोपियों में से एक पहले से ही नाबालिग था। कोर्ट ने 15 लोगों को बरी कर दिया है, जबकि 35 लोगों को 5 साल कैद की सजा सुनाई है।