Madhubani Gangrape-Murder: बीते 2 साल पहले बिहार के मधुबनी जिले से इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक खबर सामने आई थी, जहां एक आठ साल की दलित बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी। अब इस मामले को लेकर बड़ा फैसला आया है। प्रथम जिला सत्र न्यायालय सह विशेष न्यायालय एससी, एसटी के न्यायाधीश सैयद मोहम्मद फजलुल बारी की अदालत ने इस मामले में दो आरोपियों को दोषी करार दिया है। तो चलिए इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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जानें क्या है पूरा मामला?
हाल ही में बिहार के मधुबनी जिले जयनगर थाना क्षेत्र में करीब दो वर्ष पूर्व हुए आठ वर्षीय नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के मामले की सुनवाई गुरुवार को प्रथम जिला सत्र न्यायालय सह विशेष एससी, एसटी न्यायाधीश सैयद मोहम्मद फजलुल बारी की अदालत में हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने जयनगर थाना क्षेत्र के बलुआ टोल बलडीहा निवासी सुशील राय व परसा निवासी ओम कुमार को धारा 366 ए, 376 डी, 302, 34 आईपीसी व 4, 6 पोक्सो एक्ट व हरिजन एक्ट के तहत दोषी करार दिया।
दरअसल यह घटना करीब दो साल पहले 22 जून 2022 को घटी थी। दलित परिवार की आठ वर्षीय नाबालिग बच्ची घर के बाहर खेल रही थी, तभी आरोपी सुशील राय उसे कचरी और चाप दिलाने के बहाने अपने साथ ले गया। काफी खोजबीन के बाद पता चला कि सुशील कुमार नाबालिग को ले गया है, लेकिन अगले दिन नाबालिग का शव कोसी प्रोजेक्ट में मिला। पुलिस जांच के दौरान दूसरे आरोपी ओम कुमार का नाम भी सामने आया। यह भी पता चला कि आरोपियों ने नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और पहचान छिपाने के उद्देश्य से उसकी हत्या कर दी। विशेष लोक अभियोजक सपन कुमार सिंह के अनुसार दोनों दोषियों की सजा पर 31 मई (आज) को कोर्ट में सुनवाई होगी।
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दलित किशोरियो के साथ रेप के मामले
दलित किशोरियों के साथ बलात्कार के मामले भारत में एक गंभीर और चिंताजनक सामाजिक समस्या है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट और विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि दलित महिलाओं और लड़कियों को यौन हिंसा का सामना करने की अधिक संभावना है। एनसीआरबी की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ हिंसा में 7.3% की वृद्धि हुई है।
इसमें दलित महिलाओं के खिलाफ अपराध भी शामिल हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में हर दिन लगभग 10 दलित महिलाओं या लड़कियों के साथ बलात्कार होता है। ये केवल दर्ज मामले हैं, वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि कई मामले पुलिस तक नहीं पहुँच पाते।