Dalit youth Murdered: हाल ही में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है, जिसमें 19 वर्षीय दलित युवक पंकज प्रजापति की गोली लगने से मौत हो गई। यह घटना नौगांव थाना क्षेत्र के बिलहरी गांव में रविवार सुबह हुई। सूत्रों के मुताबिक, राशन वितरण को लेकर दुकानदार प्रवीण पटेरिया से हुए विवाद के बाद पंकज को गोली मारी गई। तो चलिए आपको इस मामले पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
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राशन मांगने पर दलित युवक की गोली मारकर हत्या
आज देश में दलितों के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, लेकिन इन बदलावों के बावजूद भी उनकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। वे आज भी अपनी पुरानी दिनचर्या के अनुसार ही अपना जीवन जी रहे हैं। दरअसल, उनके खिलाफ लगातार अत्याचार की घटनाएं सुनने को मिलती रहती हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के छतरपुर से एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। बिलहरी गांव में राशन वितरण को लेकर हुए विवाद में 19 वर्षीय दलित युवक पंकज प्रजापति की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना में उसका भाई आशीष प्रजापति भी घायल हो गया।
आपको बता दें, यह घटना रविवार सुबह ग्राम पंचायत की राशन दुकान पर हुई, जिसका संचालन स्थानीय वकील प्रवीण पटेरिया के घर से किया जा रहा था। राशन वितरण में तीन महीने की देरी को लेकर पंकज और आशीष का दुकानदार से विवाद हुआ था। विवाद बढ़ने पर वे परिवार के साथ फिर दुकान पर पहुंचे, जहां दुकानदार प्रवीण पटेरिया, नवीन पटेरिया और रामसेवक अरजरिया ने उनके साथ बदसलूकी की। इसी बीच प्रवीण पटेरिया ने छत से गोली चला दी, जो पंकज की जांघ में लगी। उसे ग्वालियर रेफर किया गया, लेकिन हाईवे पर ही उसकी मौत हो गई। जबकि आशीष को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
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तीन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस घटना के बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ प्रदर्शन किया और सड़क जाम कर दिया। प्रदर्शन के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या, एससी/एसटी एक्ट, आर्म्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
वही अब इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने घटना की निंदा की और आरोप लगाया कि पंकज प्रजापति की सरेआम हत्या कर दी गई क्योंकि वह अपना हक मांग रहा था। उन्होंने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और सख्त सजा की मांग की और कहा कि यह घटना दलितों, आदिवासियों, पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ चल रहे संस्थागत भेदभाव का हिस्सा है।