Bulandsehar News: नाबालिग दलित छात्रा से दुष्कर्म, धोखे से घर बुलाकर वारदात को अंजाम

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Minor Dalit girl raped: हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है जहाँ  नाबालिग दलित छात्रा को धोखे से घर में बुलाकर जबरन दुष्कर्म किया और उसे जान से मरने की धमकी दी तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।

दलित लड़की को बहला फुसलाकर रेप

उत्तरप्रदेश के कोतवाली देहात क्षेत्र के एक गांव में नाबालिग दलित लड़की को बहला फुसलाकर एक घर में ले जाकर दुष्कर्म किया गया। दरअसल, पीड़िता अपने घर से एक शिक्षक के घर ट्यूशन की फीस देने गई थी, जहां पहले से मौजूद आरोपी युवक ने लड़की को बहला फुसलाकर अपने घर ले गया और उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी। जिसके बाद पीड़िता के पिता ने कोतवाली देहात में लिखित तहरीर देकर कार्रवाई की गुहार लगाई है।

दरअसल चार जून की दोपहर उसकी पुत्री अपनी दो सहेलियों के कहने पर शिक्षिका के घर ट्यूशन फीस जमा करने गई थी। उस समय शिक्षिका घर पर नहीं थी, जबकि एक अन्य युवक मौजूद था। उक्त युवक ने उसे बताया कि शिक्षिका उसके घर पर है और वहां जाकर फीस जमा करने को कहा। इस पर उसकी पुत्री फीस जमा करने के लिए आरोपी के घर चली गई। आरोप है कि आरोपी भी उसकी पुत्री का पीछा करते हुए उसके घर पहुंच गया और वहां उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया।

जब पुत्री ने विरोध किया तो उसे जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी गई। डरी सहमी पीड़ित पुत्री ने अगले दिन घटना की जानकारी अपनी मां को दी। इसके बाद उसे घटना की जानकारी हुई। पीड़िता के पिता ने नामजद रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की गुहार लगाई है। एएसपी रिजुल ने बताया कि तहरीर के आधार पर जांच की जा रही है। मामले में रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जानें क्या है कानूनी प्रावधान

यौन शोषण और यौन हमले से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012: यह अधिनियम बच्चों को यौन शोषण और यौन हमले से बचाने के लिए बनाया गया है। POCSO अधिनियम की धाराएँ नाबालिगों के साथ नाबालिगों के मामलों में लागू होती हैं। जैसे कि धारा 5: गंभीर यौन अपराधों से निपटती है और 20 साल के कठोर कारावास की सज़ा निर्धारित करती है, जो भ्रातृ अनाचार या मृत्युदंड के जोखिम तक बढ़ सकती है।

धारा 6 –  सामान्य यौन अपराधों के लिए सजा निर्धारित करती है, जो 10 साल के कठोर कारावास से दंडनीय है, जो भ्रातृ अनाचार के जोखिम तक बढ़ सकती है।

वही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act): यदि व्यक्ति आदिवासी समुदाय से है, तो इस अधिनियम की धाराएँ भी मौजूद हैं भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) / भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) अपराधी की धाराएँ (धारा 376 IPC/ धारा 63 बीएनएस) और अन्य संबंधित अपराध भी उपलब्ध हैं।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 65 उपधारा 2 के तहत, यदि कोई व्यक्ति 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार करता है, तो उसे कम से कम 20 वर्ष की अवधि के लिए कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे आजीवन कारावास या जुर्माना या मृत्युदंड तक बढ़ाया जा सकता है।

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